पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/६७

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आसानी से मिल जाती है - सही है - तो थी। मेटी पढ़ाई इतनी मांमुली थी की, नौकरी के बारे में मैं हमेशा इनसेक्युअर होता था। और दूसरी बात यह थी की, इस से मुझे थोडी ईष्या थी थी। मैं कोन हूँ. यह बात दूसरों को बताना (खास करके बिना किसी कारण से ही) मेरे लिए नामुमकिन था। यह साहस इस ने कष्ट दिखाया यही ईया का कारण था। कितने ही लोग मुझे पुछते रहते है कि तुम खुद अपनी लैगिकता क्यों जाहीर करते फिरते हो? उसपर मेरा उत्तर है कि तुम लोग कितने डायरेक्टाइनडायरेक्ट मार्गों से अपनी चिन्नलैगिकता जताते हो? तुम्हारी संस्कृति, शादी के टरज्मोटिवाज आदि पर तुम्हे गर्व है। तो फिर हम लोग क्यों अंधेटे में सड़ते रहें? क्यों अपनी लैंगिकता हरदम छिपाते फिटे? क्या तुम लोग चाहते हो कि जिंदगीभर हमें अपनी लैंगिकता पर शर्मिदा रहना चाहिए। आखिर हमारा प्रयास किसलिय है। इसलिए नहीं कि तुम हमारा मुखौटा स्वीकार लो, बल्कि इसलिए है कि हम जैसे है वैसे ही हमे अपना लो। हम हमारी पहचान चाहते हैं। कौन होगा जिसकी यह इच्छा नहीं होगी? हमने किसी का क्या बिगाड़ा है? और हम नहीं बतायेंगे तो दूसरा हमारे साथ संवाद कैसे करेगा? हमाची समस्याएँ कैसे जानेगा? यह बात भी सच है कि हर बार हर जगह आऊट हो ना श्री सक रिस्क है। मारपीट भी हो सकती है। इसलिए शुरू में सामनेवाले व्यक्ति को देख परख कर ही आऊट होना ठीक होता है। अगर समाज में अपना स्थान बनाना है, अपने हक अधिकार हासिल करने हैं तो इस दिशा से आगे बढ़ना जरूरी है। इसका दूसरा कोई विकल्प नहीं। इरुकी हिम्मत की मैं दाद देता हूँ। मैंने अगर गराज में ऐसा बता दिया, मानो आसमान टूट पड़ेगा। काश, मैं किसी के साथ इतने विश्वास से बात कर सकता। अगर उस व्यक्ति ने मुझे स्वीकार लिया तो कितना अच्छा लगेगा। अब तक मैं एक मैं ५८ ...