पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/६८

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भी भिन्नलिंगी व्यक्ति को आऊट नहीं हुआ हूँ। घरवाले, बाबा, ज्योतिषि को छोड़कर। इनमें से किसीने मुझे अपनाया नहीं। मुझे सिर्फ समलिंगी समाज स्वीकारे यह काफी नहीं है। मैं बाकी समाज का बेझिझक स्वीकार चाहता हूँ लेकिन मुझे किसी की रहम, दया नहीं चाहिए। दिवाली में मैंने इरु को टी शर्ट दिया। उसने मुझे जीन्स की पँट दी। हमारे रिश्ते के बारे में मैंने शिर्फ शेखर, नरेन और हरभजन को बताया है और किसी को न बताने की उन्हें ताकीद दी है। प्रतीक को शक है। मुझे कुरेदता रहता है। लेकिन मैं टस से मस होनेवाला नहीं। किसी की नजर न लग जाए। जलन होती है साले को। मैंने गराज में बताया है कि मेरी एक गर्लफ्रेंड है। इरुका वर्णन किया। वे उसे मिलना चाहते है। यह बात जरा मुश्किल है। डायरी लिखना अब बंद करने जा रहा हूँ। जब से इरु मिला है, उससे मन की सारी बातें कह देता हूँ। महिनों डायरी में कुछ लिखने की इच्छा नहीं होती। सच कहूँ तो, इन दिनों ट्रस्ट में जाना भी बंद हो गया था। लेकिन अब खुद को डिसिप्लिन लगाई है। अपना मायका इस तरह भूल जाना ठीक नहीं। व्हॉलेंटिअरींग करना ही है। तनख्वाह में से दो फीसदी रकम ट्रस्ट को देनी है। यह मेरा फर्ज बनता है। इरु के प्रोजेक्ट का काम बढ़ गया है। रोज मिल नहीं सकता। देरसे घर लौटता है। फोन से काम चला लेना पड़ता है। मुझे बेचैनी होती है। आज दो हफ्तों के बाद मिला। एक हफ्ता उसने सेल फोन बंद करके रखा था! उसकी महत्त्वपूर्ण डेडलाईन थी। लेकिन न जाने क्यो, मुझे उसपर बहुत गुस्सा आ गया। उसकी काम की प्रायोरेटी मैं जानता था, फिर भी उसपर नाराज हो गया। बीस मिनट देरी से आया, इस कारण मैंने उससे झगड़ा किया और गुस्से में घर चला आया। उसने बार-बार फोन करने की कोशिश की। मैंने सेल बंद करके रखा। होने दो उसे भी तकलीफ। मैं बिल्कुल फोन नहीं करूंगा। मेरे ऐसे बेहुदा बर्ताव का कारण था, मेरे मन में होनेवाली असुरक्षा की थावना। दो हफ्तोंतक वह मिल नहीं पाया। इतने से मुझे डर होने लगा, यह मुझ से दूर तो नहीं हो गया? कहीं हाथ से खिसक न जाए। इस भय से मैं पझेसिव्ह हो गया था। .. ५९...