पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मेरा दम घुटता है। वापस आते वक्त रास्ते में माँ भुनभुनाती रही, 'पता नही तुमने उसमें क्या देखा?' शाम को इरु को खाने पर ले गया। आनाकानी कर रहा था। उसका नाराज होना स्वाभाविक था। बहुत मनाने पर मान गया। अब मेरी समझ में आ रहा है कितना अनुरक्त है वो मुझपर। कितना उलझा हुआ है मेरे साथ। मेरे लिए कम-से-कम घरवाले तो है। इधर इरु बेचारा अकेला। उसकी दुनिया में सिर्फ मैं हूँ। इतना कस के लिपट गया मुझे जैसे कोई छोटा बच्चा हो। कोई आसपास होगा, देख लेगा, किसी भी बात की पर्वा न थी उसे। आँखे भर आई थी। कुछ बोलने की स्थिति में दोंनो भी नहीं थे। आज हम दोनों बहुत बेचैन थे। आज मैंने इरु से कहा 'हम दोनों एकाध किराए का घर लेकर साथ रहते हैं. चलो। अपने घरवालों की अपेक्षा हम दोनों ही अब एक दूसरे का सहारा है। घरवाले नहीं समझेंगे। दुसरा कोई चारा नहीं है। उसने कहा, उसके घरवालों को पता चला तो अनर्थ हो जाएगा। मैंने पूछा, लेकिन उन्हें पता कैसे चलेगा? और चल गया तो तो चलने दो। अर्थात माँ को क्या बताऊँगा यह मेरे लिए भी बड़ा प्रश्नचिह्न है। वो अधम मचाएगी। इसका कहना था कि उसका बाप बहुतही हरामी है। उसका सामना करना मुश्किल है। बहन की शादी के लिए इरु बेंगलोर गया है- दो हफ्तों के लिए। उसने मुझे शादी का न्योता दिया, फिर भी उसकी इच्छा नहीं थी कि मैं जाऊँ। मुझे बुरा लगा। मुझे उसके माँ-बाप से मिलना था। मैं गया नहीं। बहन के लिए उसके हाथों ही गिफ्ट भेज दिया। उसे भी जीन्स और टी-शर्ट प्रेजेंट किया। अब दो हफ्ते गुजारने है। कैसे बीतेंगे पता नहीं। इरु आज वापस आ गया। वैसे और पाँच दिन के बाद आनेवाला था। लेकिन शादी होते ही लौट पड़ा। आज उसका फोन आया। उसे मिलने गया। क्या बोलू, कितना बोलू- इरु बहुत डिस्टर्ब हो गया था। चेहरे पर खींचाव। आँखो के नीचे काले धब्बे। उसे बताए बगैर, उसके घरवाले अभी से उसकी शादी की बातें चलाने लगे है। उसके घर में हिटलरशाही चलती है। उसका बाप जो कहेगा वही सबको करना पड़ता है। बाप कमाल का परंपरावादी है। माँ की तो कोई इज्जत ही नहीं। दिन में पाँच बार नमाज अदा करना और घरवालों पर अमानुषता से कहर बटपाते रहना- बस उसका बाप जिंदगी भर सिर्फ यही करता आया है। इरु ने शादी से इन्कार कर दिया। तो उसे कमर के बेल्ट से तुड़वाया। पैसे का बटुवा लेकर इरु उसी वक्त घरसे ६५ ...