पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/७६

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उसके घर इतला करने पर मना कर दिया। अब इरु ठीक है। लेकिन वीकनेस बाकी , ऐसे वक्त खुद के घर होने की सहमियत मालूम पड़ती है। जहाँ तुम और तुम्हारा साथी चरम्। न माँ, न छाप, कोई भी नहीं। हमारे कारण उन्हें तकलीफ नहीं और उनके कारण हमें कोई आफत नहीं इरु का बाप हररोज बार-बार फोन करता है- लगातार गालियाँ, धमकियाँ बकता रहता है। इरु डिप्रेशन में जाने लगा है। उसका बाप फिर से पुणे आया। उसने ऑफिस में जाकर उधम मचाया। इरु का अब बोलना ही कम हो गया है। आज इरु का फोन आया। कुछ सीरीयस बात करना चाहता है। इधर मेरी धड़कन बढ़ गई। शाम को पर्वती पर मिले। मेरे मन में बुरे खयाल आते रहे। इरु ने शादी करने की तो सोची नहीं होगी? दिनभर दिमाग ठिकाने नहीं रहा। खाना भी नहीं खाया। वाघजाई के टीले पर पहुंचे। इरु अमरिका जाने की सोच रहा है। इसी विषय पर वह मुझ से बात करना चाहता था। लेकिन मैं क्या बोल सकता था? बहुतही इच्छा थी कि वह न जाए। लेकिन वहाँ जाकर उसे स्वतंत्रता मिलनेवाली है, तो मैं उसे कैसे मना कर सकता हूँ? यह निर्णय लेने में उसे कितनी यातना हो रही होगी। जिस परिवेष में वह बड़ा हुआ, वहाँ वह कुछ बोल नहीं पाएगा, उतनी ताकत नहीं उसमें। ऐसी स्थिति में मनुष्य बहुत दबेल रहता है। मैं उसकी स्थिति समझ सकता हूँ। फिर उसके लिए कौनसा दूसरा रास्ता बचता हैं? एक ही बात चाहता हूँ बस कि, वह अपनी जिंदगीके साथ कुछ भला बुरा न कर बैठे। बाकी उसने कोई भी रास्ता अपनाया, तो मैं सहन कर लूँगा। वह शादी कर ले अथवा अमरिका जाए। वहाँ गृहस्थी बसाए। मेरे यह सब विचार मैंने उसे सुनाए। मुझे बहुत दुःख हो रहा था, फिर भी मैं आपसे बाहर नहीं हुआ। इरु के समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें? एक तरफ मुझसे प्यार है, मुझे छोड़ना नहीं चाहता। और दूसरी तरफ बाप का प्रतिकार करना उसके बस की बात नहीं। मैंने उसे बताया, वह कोई भी मार्ग चुन लें, मेरा प्रेम कम होनेवाला नहीं। मेरी फिकर मत कर। I Loveyou, and will always Love you! बोलते वक्त मेरी ६७...