पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/७७

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, आवाज भर आयी। घर आकर बहुत रोया। इरु कुछ भी फैसला कर दे लेकिन एक बात अब साफ है कि, मेरी जिंदगी के सब से सुखी, खुशीभरे दिन समाप्त होने जा रहे हैं। ऐसे दिन वापस नहीं लौटते। धीरे-धीरे मुट्ठी में से सबकुछ खिसकता जा रहा है और उसे सिर्फ देखते रहने के अलवा मैं कुछ नहीं कर सकता। कंपनी ने उसके पेपर्स फाईल किए। आजकल हम हररोज मिलते है। एक एक क्षण साथ गुजारने की कोशिश करते है। मैं बहुत डिप्रेसड् हूँ। फिर भी उसपर जाहीर नहीं होने देता। उसके घरवालों को उसके जाने की खबर तक नहीं है। फोन पर उनकी भुनभुन जारी है। वहाँ पहुँचने के बाद इरु उन्हें बतानेवाला है। ग्रीनकार्ड के बारे में भी उसने कंपनी में पूछताछ की है। आज हम शॉपिंग के लिए गए थे। दो कोट, बर्तन, कपड़ें, मसाले आदि की खरीदारी हुई। इंटरनेट पर उसने मुझे ई-मेल आयडी खोल दिया है। पिछले तीन दिन चॅटिंग कैसे करे उससे सीख रहा हूँ। टायपिंग के नाम से मेरी तो हाय तोबा! व्हिसा मिल गया। दिन जा नहीं भाग रहे हैं। परसों बड़े तड के इरु की फ्लाईट है। आज दिनभर ऑफिस में व्यस्त रहा। आज रात के लिए उसने होटल में रुम बुक की। पहले उसने चेक इन किया। फोनपर मुझे रुम नंबर बताया। गराज बंद करके मैं होटल पहुँचा। क्या करे कुछ सुझ नहीं रहा था। हमने चेकलिस्ट निकालकर सब सामान एक बार फिर से चेक किया। थोडी देर के बाद हम शांत हो गए। उसे भी बड़ा ऑकवर्ड लग रहा था। एकदम से बोला 'मुझे नहलाओ। बहुत दिनों से मेरी इच्छा थी लेकिन चान्स नहीं मिला।' हमने कपड़े उतार दिए। मैंने उसे और उसने मुझे नहलाया। फिर सेक्स किया। और एक बार नहा लिया। खाना मँगवाया। मैंने उसे अपने हाथों से खिलवाया और दोनों एक दूसरे की बाहों मे लेटे रहे। पिछले दिन याद आ रहे थे। वो भी शायद यही सोच रहा था। नींद आँखो में उतर रही थी, फिर भी मैं जबरदस्ती उसे दूर कर रहा था। जितना हो सके उतना समय उसके साथ बिताना था। रात देरी से मुझे नींद लग गई। वह सो न सका। उसकी चहल पहल ने मुझे जगा दिया। फिरसे एक बार सामान चेक किया। आतेवक्त मैं मेरा कॅमेरा साथ लाया था। हमने फोटो खींचवाएँ। खाना खाया। चेक आऊट किया। एशियाड बस लेकर मुंबई पहुँचे। चुंकि इरु एक बार तीन महिनों के ६८...