पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/११५

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विधवाश्रम कहा-"अब आप जरा जल्दी कीजिए, गाड़ी के जाने में बछ बिलकुल नहीं रहा है। "बस अब विलम्ब कुछ भी नहीं है । विवाह आपका शुभ हो।" इसके थोड़ी देर बाद ही उर-वधू बिदा हुए। अधुने हैस-हंस कर सच से हाथ मिलाए । किसी-किसी से धुसपुन बातें की और पतिदेव के साथ खट से कूद कर चाँगे पर चड़ गई। यह असल वैदिक विवाह का प्रताप था कि वधू डाई नहीं, चिल्लाई नहीं, यूँघट किया नहीं, शर्माई नहीं । कोलो वैदिक धर्म की जय. “कहिर, आपका क्या काम है " "मुझे आपसे एकान्त में कुछ कहना है।" "य. एकान्त ही है, निस्सकोच कहिए । इन लोगों हे कुछ छिपा नहीं "आपसे मैं एक सहायता लेना चाहता हूँ।" "कहिए भी, क्या सहायता ?" "एक लड़की का उद्धार करना है।" “वेश्या के घर से " "वह लड़की कौत्त है ?" उसी वेश्या की कन्या ।" आप क्यों उद्वार किया चाहते हैं ? ।