पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/११९

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विधमाश्रम होना बाकी है (सुनो सुनो)। काम बड़ा कठिन है, और उसे यह आश्रम ही पूरा कर सकता है । सन्जनों, आर्य-पुरुषों, क्या श्राप इस आश्रम से सहानुभूति नहीं रखते हैं ? (हर्षध्वनि क्या आप इसकी हस्ती को कायम रखना चाहते हैं ? ( अवश्य- अवश्य ) तब मैं आशा करता हूँ कि आप अपनी जेबों में जो हाथ आश्रम के नाम पर डालेंगे, वह खाली बाहर न पाएगा। आपको यह स्मरण रखना चाहिए कि जो-जो महाशय चन्दा देगे, उनका नाम-ठिकाना सब समाचार-पत्रों में छपा दिया जाएगा। इसके बाद आपने लम्बे भाषण में यह साबित कर दिया कि यह संस्था कितनी पवित्र है और आर्य-समाज के सिद्धान्तों की रक्षा के लिए ऐसी संस्थाओं की बड़ी भारी आकश्यकता है। आपके बैठते ही प्रबल ताली की घोषणा से सभामण्डप गूंज उठा। इसके बाद मन्त्री महोदय वार्षिक रिपोर्ट पढ़ने के लिए उठ खड़े हुए। "रिपोर्ट पढ़ने से पता लगा कि गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष १५००) की अधिक आय हुई है (हर्षध्वनि)। इस वर्ष कुल ५५७५||-- ॥ आमदनी हुई है । और ५५७५१)।। स्वर्च हुए हैं। शोकड़ !) बाकी बचा है। इनमें कर्मचारियों का वेतन-खाते. ३२००) और मकान-भाड़ा और स्टेशनरी के स्वाते १३००), मुक- दमे खाते ८००), छपाई खाते २००) रु० खर्च हुए हैं। ७५|| फुटकर खर्च खाते में आए हैं । यद्यपि ।-) की रकम जो हाथ में बची है, बहुत कम है, फिर भी वह बचत तो है। ईश्वर की कृपा से हमारी संस्था को कर्ज नहीं लेना पड़ा है। १०३