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पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/२७

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पीर नाबालिग "मेरी फोटो आप छापना चाहेंगे तो मैं दे दूंगा, एक-ठो मेरे पास है।" "अगर जरूरत हुई तो माँग लूँगा।" "वह अखबार जयप्रकाश नारायण के पास भी भेजना गए।" "इसकी भी कोशिश करूँगा । परन्तु इस समय तो दोस्त, एक बहुत ही जरूरी काम करना मुनासिब है।" "कौन सा काम "इसी वक्त आपको एक ठसकदार दावत देना बहुत ही जरूरी है।" दोस्त लोग टोपियाँ उछाल-उछाल कर हुरी-हुरी चिल्ला उठे। पीर नाबालिग़ जरा झेप कर मुस्कुराने लगे। मैने जेब से दस रुपये का एक नोट निकाल कर मटरू के हवाले किया! थोड़ी ही देर में गर्मागर्म कचौरियों , रसगुल्लों और मलाई पर हाथ साफ होने लगे। बातचीत के दौरान में पीर नाबालिग की बहादुरी की बहुत-बहुत तारीफ की गई। तबेले की बातों का बढ़-बढ़ कर जिक्र हुआ। पीर नाबालिग बहुत खुश हो गए। एकदम दोने में से चार बीड़ा पान उठा कर मुँह में ठूसते हुए बोले-इस दावत की खबर भी अखबार में छपनी चाहिए। जितनी बड़ी-बड़ी दावतें होती हैं, सब की खबरें अखबार में छपती हैं। मैने हँस कर कहा-जरूर, जरूर, मगर अखबार वालों के खबर देने कौन जायगा? पीर नाबालिग एकदम खुश हो कर बोले- यह मटरव ११