पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/२८

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चतुरसेम की कहानियाँ साला बहीं कबीरचौरा ही पर तो रहता है, वहीं तो धड़ाधड़ अखबार अपना है, यही जाएगा। मैंने कहा- मटरू भाई, तुम्हें अखबार में इस दावत की सनर ले कर जाना होगा। "जी माफ कीजिए, इतनी भारी बावत की खबर अकेला बन्द नहीं ढो सकता। हाँ, सब लोग चले तो मुजायका नहीं। सब लंग खिलखिला कर इस पड़े। पीर नाबालिग ने भरता से कहा-सभी लोग चलें फिर, क्या हर्ज है ? मैंन उठ कर उस सरज़-तरल युवक को छाती से लगाया । अपना समूचा सिगरेट का वक्स उसके हाथ में थुमा कर कहा- प्रभा निरमेंट पोा दोस्त, मुवह इस मामले पर विचार करने का वास्तों का एक चाय-पार्टी होगी, तब देखा जायगा। ३ पीर नाशलिग खिलखिला कर हँस दिए। वे बहुत खुश थे और जब बहुत रात बीत जाने पर आज की यह दिलचस्प गोष्टी विनर रही थी, इसका प्रत्येक सदस्य बाग-बाग था। । १२