पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/४१

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मनुष्य का मोल कुछ देर वे चुपचाप उस व्यक्ति की चमकती आँखों की ओर देखते रहे, फिर जेव से मनीबेग निकाल कर उसका बिल अदा किया, और उसके कन्धे पर हाथ रख कर कहा-"आओ मेरे साथ" वह चुपचाप पा कर उनकी मोटर में बैठ गया। मोटर सायंकालीन हवा के सुरमित झकोरों में उड़ती हुई एक तरफ चल दी। विस्ता सुन कर भद्रपुरुष ने हँसते हुए उसकी पीठ पर हाथ और कहा--"तो तुम जेलर से की हुई प्रतिज्ञा पर रखा, "यदि बिल्कुल ही लाचारी न हुई ?" "क्या मेरे साथ काम करोगे। मगर कड़ी मेहनत करनी

  • होगी।

"क्या डाकेजनी से भी अधिक ?" वे हँस पड़े। उसने पूछा-“पहिले यह कहिए-आप सेग विश्वास करेंगे? "क्यों नहीं ?" "लेकिन मैं एक खूनी डाकू हूँ, सजा-य क्ता । जेल का जीव!" "मुझे तो तुम एक तेजस्वी, साहसी और मुस्तैद पुरुष प्रतीत होते हो, तुम्हारी निर्भीकता पर मैं मोहित हूँ, यदि तुम मेरे साथ काम करो, तो मेरी फर्म में मेरे बाद तुम्हारा ही दर्जा समझा जायगा ।" "मगर मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा भी खो नहीं !"