पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/४२

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चतुरसेन को कहानियाँ "दलखन तो कर लेते हो?" "अगर करना ही पड़े तो कर लूँगा!" "तो आज से तुम मेरे प्रधान सहायक हुए । मैं देशेदार हूं। बड़े-बड़े ठेके लेना हूं। लपवों का कारबार फैला है । हजारों आदमियों से तान-देन करना होता है, वह सब तुम्हें करन्दा होगा "मैं करूंगा, पर वेतन "वेनन कुछ नहीं "वाडगा कहाँ से? "जहाँ में मैं बाना हूँ।" "अच्छी बात है। मेग नाम नरेन्द्र सिंह है, किन्तु आप सरदार नरेन्द्र हि कह कर पुकार सकते हैं !' "नो सरदार नरेन्द्र सिंह. मैं सबसे पहले तुम्हारे साहस की परीक्षा लंगा ! मैं तुम्हें बाध के मुँह में भेजूंगा।' "बाघ के मुंह में किस लिए ?" "उसके दाँत निनन के लिए।" टेकेदार न हँसकर कहा-"एक्जूक्यूटिव इमोनियर एण्डरसन आदमी को देखते ही काट खाने दौड़ता है, अच्छा खासा भेड़िया हैं। यह लो बिल, पास करा कर लाओ तो जानें। छः महीने से पड़े है।" नरेन्द्र सिंह ने चुपचाप बिल ले लिए। 2 "दुम कौन है ?" सरदार नरेन्द्र सिंह "अम नेई माँगटा टुम कू, मैन, बाहर जाओ।" २६