पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मनुष्य का मोल "लेकिन मैंने तो सुना था कि सिर्फ साहब ही भेड़िया है. आपकी तो कोई तारीफ नहीं सुनी थी?" 'नारीफ कैसा? "कि आप श्रादमी को देखते ही काटने देनी हैं? आपको जानना चाहिए कि हमारे देश में ऐसी औरत नहीं पसन्द की जाती, उन्हें सुशील, सिठबोला और नेहमान निवाज होला ही चाहिए। "टुम कहाँ से आया है ?" "मुझे साहब से काम है, स्नानगी नहीं बिजनेस का। आप से मेरा कोई वास्ता नहीं, कलिए साहब कहाँ है ? "मेम साहब आज बुरी तरह परेशान थौं। उनके मिजाज का पारा तेज था, पर इस अद्भुत और निर्भीक आदमी से फटकार खा कर उनका गुस्सा हिरन हो गया। कुछ देर वह चुपचाप नरेन्द्र सिंह का मुंह ताकती रहीं। फिर बोली। "लेकिन टुम कौन है !" "टेकेदार का आदमी हूँ।" “मगर टुम ठेकेदार के माफिक टो बाट नेई करटा “ठेकेदार के माफिक कैसा?" "वो सलाम करटा है, हुजूर कहा है और अडब से बोलटा है।" "और इतने पर भी आप लोग उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं, जैसा मेरे साथ किया है ? क्या आपकी विलायत में औरतें मों से इसी तरह बोलती हैं !" "अमको तुम माफ करो मैन, इस वक्त अम झंझट में हैं ।