पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चतुरसेन की कहानियाँ Cr कोरा मैन नहीं, मेरा नाम नरेन्द्र सिंह है। पर आप 'सार' कह कर पुकार सुकी हैं। हाँ आपका झंभट क्या है. सुन नो।" "मुजकू रुपया चाहिए।" कितना?" "दो हजार रूपया । अभी रुपया हाथ में नहीं है, श्रमको क्रिसमस का सौगाट रखरीदना है।" "आपको कब रुपया चाहिए।" "कल सुबह ।" "तो रुपया आपको मिल जायगा। फिक्र न करें।" "न्क्यू , सरडार । रुपया जल्ड लौटा डिया जायगा !" "घर, देखा जायगा, लेकिन साहब से मुलाकात नहीं होगो ?" "अबी नहीं, पर टुम अपना विल अमको डे सकता है।" “यह लीजिए, कल सुबह मैं आऊँगा।" "गुडबाई सरदार" "गुडबाई मैडम ५ ठेकेदार एक आवश्यक कार्यवश कलकत्ता चले गए थे। सरदार का रुपया मेम साहेब को देना बहुत जरूरी था। उसने निर्भय सेफ का ताला तोड़ डाला और पाँच हजार रुपयों के नोटों का एक बण्डल निकाल कर जेब में रख लिया। किसीने भी उसे यह काम करते देखा नहीं । अपना काम पूरा करके सरदार इतमीनान से सो गया। २८