पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/६१

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सविता उन्हें घायलों की सेवा के लिए अर्पण की गयी। अब इस बात के वर्णन की कोई आवश्यकता नहीं है कि मित्र सेनाओं को भोजन जुटाने के लिए किस प्रकार सेठ दानडिया के एजेन्टों ने समूचे भारनवर्ष में गाय, बैल और भैनों को जिन्दा तोल तोल कर खरीदा, किस प्रकार वैज्ञानिक विधियों से उनका मान डब्बों में भरा और इस प्रकार मित्रों के मित्र अमेरिकन सैनिकों को उनका प्रिय वाद्य वीक सलाई किया। आज देश के बड़ों की दृध दुर्लभ हो गया. मोहो जाय । गाय. बल और भैस अलक्ष्य हो हा गए हैं, हो जाय। सेट को तिजोरी नी भर गई। भगवान मला करे एटम बम का, जिसने एक हः प्रहार से युद्ध समाम कर दिया, नहीं तो एक साल और यदि मित्र सैनिकों को बीफ मलाई करना पड़ना, तो भारत से गोधन का बीज ही नष्ट हो जाता। जो हो। ईश्वर के सम्मुख्य जो जन्म भर नाक रगड़ते हैं, भिक्षुक ही रहते है, परन्तु ब्रिटेन को सरकार की कृपा दृष्टि से हमारे सेठ छदामीलाल दर्जनों फर्मो के मालिक, कई बैंकों के मैनेजिङ्गः डाइरेक्टर, अनेक मिलों के स्वामी हो गए। पाण्डजी से आपकी पुरानी लुटिया-डोर के जमाने की मुला- कात थी ! अब, जब से वे कविता पाण्डे एम० ए० के पति हुए, तब से उनमें खूब घुटने लगी। सेठजी कविता के एकाएक प्रेमी हो उठे। श्रीमती कविता देवी की कविता का एक चरण सुनते ही वे झूमने लगते और जब कभी सविता के संगीत की दिलरुवा की तान सुनने को मिलती, तो सेठ जी भाव मग्न हो ऐसी हरकतें करने लगते कि सविता देवी अपनी हँसी न रोक पाने के कारण वेबस होकर मैदान छोड़ भाग खड़ी होती। इस पर पाण्डे भी बिगड़ते, कविता भी बिगड़ती। भला क्यों न बिगड़ें।