पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/६२

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मविना रिश्वत देते और दूसरे से परमिट लेते रहे। पतन से पूरा फायदा उठाया उन्होंने ! और लोगों ने देखा-अव सविता देवी जो उनक जीवन-चरित्र लिम्बन गई, तो बन गई उनकी जीवन संगिनी । साधारण नहीं-क्रीता, अपना मूल्य स्वयं ही लेकर । आप आश्चर्य करते हैं ? मूर्ख हैं आय । श्राप न राजनीति जानते हैं, न अर्थनीति, न एम० ए० पास लड़कियों के कल्चर को । तो आपको हम कहानो क्या सुनाएँ । वही मसल है- समझ सो गधा। अनाड़ी की जाने बला। ४७