पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/७४

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चतुरसेन की कहानियाँ वाली गाड़ियाँ आ गई। नगर भर को पुलिस और घुड़सवार पल्टनों का बन्दोबस्त हो गया परन्तु मि. दास की पार्टी पर सब भेद प्रकट था। वह ठीक स्थानों पर पहुंच गई थी : निजो- रियों को तोड़ने की व्यवस्था उनके साथ थी और जब सर्वत्र

  • हाहाकार मचा था, फायर बिग्रेड वाले पुलिस और सेना की

सहायता से माल को निकालने और आग बुझाने में जान जोग्विा सह रहे थे, मिदान की पार्टी अनगिनल नोटों के गट्टर बटोर रही थी। पास के रेस्टोरों में तीनों दोस्त इम-क्षण में सूचना पा रहे थे। आग बुझाने में आठ दिन लगे । सारा मार्केट जल कर राख हो गया। दुकानदार हाय करके बैठ रहे। जिनका बीमा था-~उन्हें कुछ सन्तोष था। यह दारुण समाचार सुनते हा सेट जी काश्मीर से भाा श्राए । खाक स्याह मार्केट को देखकर जोर- जोर रोने लगे। लोगों की भीड़ चारों तरफ जमा थी ! कोई कुछ कह रहा था-कोई कुछ। सेठ जी को सब करणा की कोर से देख रहे थे। लोगों के मन में दया का समुद्र उमड़ रहा था। सहानुभूति के शब्दों की बौछार हो रही थी। सेठ जी सुबकियां ले रहे थे। तीनों मित्र बगल में खड़े थे। मि० जेन्टलमैन मुस्क राते हुए सिगरेट पी रहे थे। एकाएक उन्होंने सिगरेट फेंककर सेठजी का कन्धा छूकर कहा-"अब रंज-फिक छोड़िए सेठजी, आगे की बात सोचिए । जो होना था हो गया। उन्होंने एक भेद-भरी दृष्टि सेठजी पर डाली। चारों दोस्त चले पाए । घर के एकान्त कमरे में बैठकर सेठजी ने कहा-"अब ? "अब क्या-? एक करोड़ रुपए बीमे का वसूल कर लीजिए,