पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/८२

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सेठजी ने सहमत होते हुए कहा-मैं सहमत हूँ, परन्तु मैनेजिङ डाइरेक्टर की जिम्मेदारी नहीं ले सकता। यह काम आप स्वयं कर तो काम की सफलता की पूरी-पूरी आशा है। मि० दास ने भी इसका समर्थन किया और मिसिन्हा मी सहमत हो गए। मिः जेन्टलमैन सर्वसम्मति से बैंक के मैन- जिङ्ग डाइरेक्टर नियुक्त हो गए। वेतन तीन हजार मासिक और रहद का भ्यान, यश्रेष्ट मचा, इस साल का कन्ट्रास्ट मि० दास सक्रेटरी, वेतन एक हजार रुपया और सुविधाए ! सब बन्दोबस्त ठीक कर, नियमोपनियम बना, नीलगिरी को ठण्डो हवा का चारों मित्र अपने नये व्यवसाय को चलाने बम्बई में आ धमके। ६ बैंक का नाम रखा गया 'व्यापार बैंक लिमिटेड । मि० जेन्टलमैन के परिश्रम. दौड़-धूप, और अध्यवसाय से बैंक की थोड़े ही दिन में धाग जम गई। कई बड़े-बड़े बैंकों तथा सर- कारी सस्थाओं से उसके सम्बन्ध जुड़ गये। सेठ जी सुन-सुन्त कर, देख-देख कर प्रसन्न होते थे। वे बोर्ड आफ डाइरेक्टर्स असीडेण्ट थे। और इसके लिए नकद पाँच हजार रुपया मासिक वृत्ति उन्हें मिलता थी। पर वे सोलह आने मि जेन्टलमैन के इशारे पर नाचने वाले थे । बाकी दानों मित्र भी उन्हीं के चेले थे। मिसिहा बैंक के एजेन्ट बना दिए गए थे। उन्हें कमीशन में जितना रुपया मिलता था उतना कमी सात पीढ़ी में भी उन्हें नहीं मिला था। सेठजी ने पूरा रुपया दे दिया था, उसी से बैंक खड़ा हु था। तीनों मित्रों के पास जो कुछ था दे दिया था, पर वह ६७