पृष्ठ:पुरानी हिंदी.pdf/६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पुरानी हिंदी जो माता पिता को अनिच्छा पर भी अपने मामा स्तमतीर्थ (सभात) के नेमि के समझाने पर दीक्षित हुना और मोमचंद्र कहलाया। यही सोमचद्र विद्वान हंगर प्राचार्य हेमचद्र बना, सिद्धराज जयसिंह के यहाँ मान्य हुआ । उनी ये पहने में सिद्धगज ने पाटन मे रायविहार और निद्धपुर में मिद्धविहार मदिर बनवाए प्रार उसी ने 'नि शेषशब्दलक्षणनिधान' मिद्धहेमव्याकरण जयनिह देव के वचन गे बनाया । (पृ० २२) उस के अमृतोपमेय वागी विनाम को नुनने में जपनि तो क्षणमर भी तृप्ति नही होती थी। यदि आप भी यथास्थित धर्मन्यरूप जानना चाहें तो उमी मुनिवर से पूछे । बम । हेमचद्र पाए पोर राजा ने उपदेश सुना। यहां वाहह मन्त्री द्वारा हेमचंद्र का परिचय कराए जाने का उन्लेग केवल 'पूना' ही है क्योकि राजा होने के पहले ही दुर्गन अवन्या मे ही कुमारपान हेमचन्द्र का कृपापात्र था, हेमचन्द्र ने उसके प्राण बचाए, राजा होने की भविस्यागी कही इत्यादि, वातें कई प्रबधो मे प्रकट है । प्रस्तु । हेमचन्द्र ने एक एक धर्म की बात ली, उसपर कोई इनिहाम या कन्या कहो, राजा ने कहा कि यह करूंगा और यह छोडूंगा। फिर राजा ने उस विषय मे क्या क्या किया यह भी इस ग्रथ मे वरिणत है गुरुशिष्य सवाद रुप ने वधा के द्वारा धर्म माना सनातन रीति हैं । पुराणो में 'पानाप्युदाहरन्तीममितिहान पुगगनम्'-हल ने कषयिष्यामि' को धारा बहती जाती है। जैन सूत्रों में, बौद्ध प्रयो में मय जगह है। उपदेश की कथाएं भी सर्वसाधारण है । मद्यपान निदा मे द्वारकादाह औरया वो के नाश को कथा, चूत के विषय मे नल की कथा, ( नुवर्ण) चोरी मे परुण को कथा, तपस्या में रुक्मिणी को कथा प्रादि वे ही हैं जो हिंद पुराणों मे है । विष जैन धर्मो पर प्रसिद्ध जैन बास्यानो को गाथाएं हैं । कुछ न्यूलिभद्र को सी प्रति हासिक कथाएँ भी हैं । पचतन की सी सिंहव्याघ्र की कथा भी है। कुल ५७ पर हैं जिनमे एक 'जीव, मन और इद्रियों की बात चीत' पूर्वलिखित रवि मिपात की बनाई है। इन सबमे सामाजिक, ऐतिहासिक, पौराणिक कथान्या, पारगम मादि कई चमत्कार हैं। जिन कथाओ को 'हिंदू कमाएं याहा कहते हैं उनके कुछ भेर है । रुपणको अरिष्टनेमि ने उपदेश और यदुवंश के नाश की चिनावनी दी थी। दमनी गोमा किसी जैन साधु के आशीर्वाद से हुई । रुक्मिणो का मौमागिनी जिन प्रतिमा अर्चन से हमा इत्यादि । जनो के यहां रामायण, महाभारत, पुगए पृय है जिनमें कथाएँ भिन्न है। जैनो ने हमारी कथामो को बदल कर अपने धर्म गे माना बढाने के लिये रूपातर दे दिया यह कहना कुछ ताहन को पान है। नदी ।