पृष्ठ:प्रतापनारायण-ग्रंथावली.djvu/३६४

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[ प्रतापनारायण-ग्रंथावली
 

३४२ [ प्रतापनारायण-पंथावली हैं। फिर हमारी में चाल को कोई किस बुद्धि से बुरा कह सकता है । हमारी वर्तमान दुर्गति का कारण भेंड़ चाल की पूर्ण श्रद्धा का ह्रास ही है नहीं तो वास्तविक अभाष किसी सद्गुण का नहीं है। आज भी हम उसी को ग्रहण करके सर्वषा सुधर सकते हैं । इस में जिस को सन्देह हो वह स्वयं परीक्षा कर देखे । पढ़ा हो तो किसी ग्रन्थ का, न पढ़ा हो तो किसी पुराने कैंडे वाले वृद्ध का वचन प्रमाण माप के उसी के अनुसार यथा- साध्य सब काम करने का वृती हो जाय । फिर देख लेगा कि भेंड़ चाल में कैसा सुख है, कैसा सुभीता है, कैसी बड़ाई है। और यों तो जिनकी मति बुरी है, प्रकृति बुरी है, संगति बुरी है उनके लिए सभी कुछ बुरी है, निजत्व बुरा है, निज धर्म बुरा है, निज देश, निज जाति, निज पूर्वज समूह बुरा है। उनके आगे भेंड़ चाल है ही क्या । यद्यपि चलते वह भी भेंड़ों ही कि भांति हैं पर उन भेड़ों के पीछे जो पथ दर्शक की परवा नहीं रखती केवल अपनी ही इच्छा से चल देती हैं। वे यदि दूसरों की चाल को भेड़ चाल बता तो खैर जीभ के आगे खाई खन्दक तो हई नहीं कि गिर पड़ेंगी, जैसा चाहें वैसा चला दें । पर वास्तव में भेड़ चाल बुरी नहीं है, विशेषतः आर्य जाति के लिए, पर यदि चलते बने, क्योंकि हमारे मार्ग नियंता सचमुच हमारे हैं और हमें सतचित से प्यार करते हैं और बस । खं० ८, सं०७ ( फरवरी, ह. सं०८) निर्णयशतक __इस देश में सदा से सब बातो का निर्णय ब्राह्मण ही करते रहे हैं। धार्मिक व्याव- हारिक और सामाजिक निर्णय आज भी ब्राह्मणों ही के हाथ में है । पर राजनैतिक निर्णय जब से मुसलमानों तथा अंग्रेजों का राज्य हुआ तब से प्रत्यक्ष रूप से इन के हाथ से जाता रहा है। किन्तु बहुत सी बातों का निर्णय परम्परा द्वारा आज भी इन्हीं के हाथ में है। जब दाय भाग अथवा धर्म सम्बन्धी मान हानि ( तौहीने मजहबी ) आदि के झगड़े मा पड़ते हैं तब हाकिम मिताक्षरा ही इत्यादि का अवलम्बन कर के मुकद्दिमा फैसल करते हैं और अच्छे बादशाह भी इसी रीति पर चलते थे और ऐसी न्याय पद्धति के संस्थापक याज्ञवल्वयादि ब्राह्मण ही थे तथा उनके तत्वप्रकाशक भी पंडित ही हैं और थे और हो सकते हैं । पर आजकल ब्राह्मणों ने यह झगड़े मुड़ियाना छोड़ सा दिया है वा यों कहो कि देश के अभाग्य अथवा काल कर्मादि की कुचाल से जन समुदाय ने ब्राह्मणों को यथोचित प्रतिष्ठा से मुंह मोड़ लिया है। अतः हम अपने पक्ष में उत्तम समझते हैं कि समय २ पर ऐसे विषयों का श्रुति स्मृति पुराण तथा सनन सम्मति के अनुकूल निर्णय प्रकाशित कर दिया करें । जिन विषयों में सनातन धर्मी कुछ का कुछ समझ के