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प्रतिज्ञा

सुमित्रा चली गई। पूर्णा ने बत्ती बुझा दी और लेटी; पर सोई कहाँ? आज ही उसने इस घर में क़दम रखा था और आज ही उसे अपनी जल्दबाज़ी पर खेद हो रहा था। यह निश्चय था कि वह बहुत दिन यहाँ न रह सकेगी।





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