उधोग धंधा---अच्छी तरह नहीं कर सकता। इसलिए विज्ञान-शिक्षा की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए।
महत्व के अनुसार मनुष्य के कर्तव्य पाँच हिस्सों में बाँटे जा सकते हैं। उनका क्रम इस प्रकार है---
(१)अपनी प्राणरक्षा के कर्तव्य।
(२)अपने जीवन-निर्वाह के कर्तव्य।
(३)सन्तति को पालने-पोषने और शिक्षा देने के कर्तव्य।
(४)सामाजिक और राजनैतिक कर्तव्य।
(५)मनोरञ्जन अर्थात् गाने-बजाने, कविता करने और दिल बहलाने आदि के कर्तव्य।
ये जितने कर्तव्य हैं सब के लिए जुदा जुदा तरह की शिक्षा दरकार होती है। और हर तरह की शिक्षा में प्रायः विज्ञान ही (Science ) प्रधान है। इस बात को स्पेन्सर ने बड़ी ही योग्यता से सिद्ध किया है। पहले हम तीसरे प्रकार के कर्तव्यों की शिक्षा के विषय में उसका मत लिखते हैं। यह कर्तव्य बाल-बच्चों को पालने, पोसने और शिक्षा देने से सम्बन्ध रखता है।
यह कर्तव्य बहुत बड़े महत्व का है; पर इसके महत्व का कोई ख़याल नहीं करता---इसको पूरा करने के लिए कोई तैयार नहीं रहता। कल्पना कीजिए कि किसी अघटित घटना के कारण, भविष्यत् में होने वाले हमारे वंशजों तक