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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि
कामयाबी भी हुई है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की स्थिति प्रायः एक सी अनुमान की जाती है। अब तक लोगों का ध्यान विशेष करके उत्तरी ध्रुव तक पहुंचने ही की तरफ था; पर कुछ समय से दक्षिणी ध्रुव पर भी चढ़ाइयाँ शुरू हुई हैं। उनमें से कुछ का संक्षिप्त वृत्तान्त इसके पहले के लेखों में दिया जा चुका है। इस लेख में दक्षिणी ध्रुव के विषय में नहीं, किन्तु उत्तरी ध्रुव पर की गई एक नवीन चढ़ाई का कुछ हाल पाठकों को सुनाना है। १८९६ ईसवी में डाक्टर मानसेन ने उत्तरी ध्रुव पर चढ़ाई करके बहुत नाम पाया। वे ८६ अक्षांश तक पहुँच गये थे। उत्तरी ध्रुव पर चढ़ाइयाँ तो कई हुई हैं; पर उनमें से ९ मुख्य हैं। इन चढ़ाइयों के नायकों के नाम, चढ़ाई का साल ओर उसकी अन्तिम सीमा के अक्षांश हम नीचे देते हैं:—
नाम | सन् | अक्षांश | |
डब्लू॰ ई॰ पारी | १८२७ | ८२-४५ | |
सी॰ एफ॰ हाल | १८७० | ८२-११ | |
जूलियस पेयर | १६७४ | ८२-५ | |
सी॰ एस॰ नेयर्स | १८७६ | ८३-२० | |
एक डब्लू॰ ग्रीली | १८८२ | ८३-२४ | |
वाल्टर वेख मैन | १८८९ | ८२- | |
एफ बानसेन | १८९६ | ८६.१४ |