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पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/१४२

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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

भाफ़ के साथ राख और पत्थर उड़ने लगे और दूर दूर तक गिर कर देश का सर्वनाश करने लगे। बिजली इतनी भीषणता से चमकने लगी कि पचास पचास कोस दूर तक के लोगों की आँखों में चकाचौंध आ गई। मुँह के ठीक बीच से जलते हुए धातु और पत्थरों की राशि आकाश की ओर कोसों ऊपर उड़ने लगी। तीन दिन तक आस पास का देश अन्धकार मय हो गया। विस्यूवियस ने महा प्रलय कर दिया। उसके पास के हरक्युलैनियम, पाम्पियाई और स्टेबिया नामक तीन शहर समूल लोप हो गये। उनके ऊपर बीस बीस फुट गहरी बजरी, राख और पत्थर आदि की तह जम गई। सारे जीवधारियों का सहसा संहार हो गया। विस्यूवियस ने अपने मुँह से इतनी भाफ उगली कि उसके चारों ओर महाभयङ्कर और महावेगवान नद बह निकले और अपने साथ उस पर्वत के भीतर से निकले हुए राख और पत्थर आदि पदार्थों को बहा कर, उन्होंने बाग़, खेत, गाँव, नगर जो कुछ उन्हें मार्ग में मिला, सबको दस दस पन्द्रह पन्द्रह हाथ ज़मीन के नीचे गाड़ दिया। इस स्फोट में अनन्त प्राणियों ने अपने प्राण खोये।

इसके बाद कोई १५०० वर्ष तक विस्यूवियस प्रायः शान्त रहा। बीच में कभी एक आध बार उसने धीरे से श्वास अथवा डकार लेकर ही सन्तोष किया। इन १५००