ऐसी है जो आपको यह सिखला सकती है कि आप को अपना नागरिक चाल चलन कैसा रखना चाहिए? मान लीजिए कि आप दुनिया की सर्व प्रसिद्ध पन्द्रह लड़ाइयों ही का हाल पढ़ कर चुप नहीं रहे; किन्तु और भी जितनी छोटी बड़ी लड़ाइयाँ हुई हैं उन सब का सविस्तार हाल आप पढ़ चुके हैं। तो क्या इस से, पालियामेन्ट के मेम्बरों का अगला चुनाव होने पर, राय देते समय, आप की राय में कुछ विशेषता आ जायगी? इस इतिहास- ज्ञान की बदौलत उस समय क्या आप कुछ विशेष बुद्धिमानी से राय दे सकेंगे? हरगिज़ नहीं। परन्तु आप कहेंगे कि---"ये सच्ची घटनाएँ हैं; सच्ची ही नहीं मनोरञ्जक भी।" निसन्देह ये मनोरञ्जक घटनाएँ हैं। इन में से जिन का कुछ अंश या सर्वाश झठ नहीं वे अवश्य मनोरञ्जक हैं, और बहुत आदमियों को वे वैसी ही मालूम भी होती होंगी। परन्तु इस से यह अर्थ नहीं निकलता कि इस तरह की घटनाएँ महत्व की हैं--- कदर करने के काबिल हैं। हम लोग कभी कभी बिलकुल ही तुच्छ बातों को किसी कल्पित और अयोग्य कारण से भ्रमवश बनावटी महत्व देने लगते हैं। जो आदमी गुले-लाला या गुलाब के पीछे पागल हो रहा है---जिसके दिमाग़ में उसका खब्त समाया हुआ है---उसे यदि किसी अच्छे फूल के बराबर कोई सोना भी तौलने को
पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/४२
दिखावट