पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/६

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प्रकृति कभी कभी कितने संहारकारी खेल खेलती है, यह बात विस्यूवियस नामक ज्वालागर्भ पर्वत के स्फोटों के वर्णन से अच्छी तरह ध्यान में आ सकती है। सैकड़ों, हज़ारों वर्ष के परिश्रम से मनुष्य जिन नगरों को जन्म देता और नाना प्रकार के शृङ्गारों से उनकी शोभा बढ़ाता है उन्हें प्रकृति देवी घड़ी ही दो घड़ी में समूल नष्ट कर देती है। इस प्रकार मानों वह मनुष्यों को उनकी क्षुद्रता का पाठ पढ़ाने की कृपा करती है। ऐसी घटनाओं से मनुष्य-समुदाय, चाहे तो, बहुत कुछ सीख सकता है।

शिक्षा का विषय जितना ही गहन है, उतना ही उपयोगी और महत्वपूर्ण भी है। अमेरिका और योरुप में इस विषय पर बहुत कुछ ग्रन्थरचना हुई है। हर्बर्ट स्पेन्सर नाम के तत्ववेत्ता ने इस सम्बन्ध में जो कुछ लिखा है, उसके लेख का सारांश इस संग्रह के पहले लेख में दिया गया है। अतएव जिन्हें इस विषय की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्राप्त न हों वे इसकी कितनी ही मुख्य मुख्य बातें इस लेख से जान सकते हैं।

मनुष्य-गणना से देश की उन्नति या अनुन्नति का जो ज्ञान प्राप्त हो सकता है, उसका नमूना लेख नंबर २ में देखने को मिलेगा। उससे यह भी मालूम हो जायगा कि, समय समय पर मनुष्य-गणना करना कितने महत्त्व का काम है।