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उत्तरी ध्रुव की ओर; आज तक अनेक साहसी योरोपियन गये हैं। तत्सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत चेष्टायें हुई हैं, और अब तक हो भी रही हैं। उस वर्ष डाक्टर नानसन उत्तरी ध्रुव में बहुत दूर तक निकल गये। वहाँ तक ओर कोई नहीं गया था। अपने भ्रमण का वृत्तान्त जो उन्होंने प्रकाशित किया है वह बहुत ही मनोरञ्जक है। उत्तरी ध्रुव की ओर तो बहुत लोगों का ध्यान था; परन्तु आज तक, दक्षिणी ध्रव में सैर करने और उसकी व्यवस्था जानने का विचार दो ही एक आदमियों के मन में आया था। विद्या और सभ्यता की वृद्धि के साथ साथ नई नई बातें जानने, नये नये काम करने और नये नये देशों का पता लगाने के लिए मनुष्यों की प्रवृति सहज ही हो रही है। इसी प्रवृत्ति के वशीभूत होकर दो एक साहब दक्षिणी ध्रुव की तरफ कुछ दूर तक गये भी; परन्तु थोड़ी ही दूर जाकर उनको लौट आना पड़ा।