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यमलोक का जीवन

मसाला भरते थे। ये चीजें इंग्लैंड को लाये जाने के लिए नमूने के तौर पर रखी गई हैं। कुछ आदमी जलचर जीवों की तलाश में जाते थे; कुछ वनस्पतियों को खोजने निकल जाते थे; और कुछ भूरतर-विद्या के विषय में ज्ञान, प्राप्त करने को बाहर निकलते थे। एक बजे फिर हम लोग भोजन करते थे। आठ बजे रात को जहाज को देख भाल होती थी और बाद उसके हम लोग ताश वगैरह खेल कर सो रहते थे।

हम लोगों ने "साउथ पोलर टाइम्स' नाम का एक अखबार भी लिखना शुरू किया। वह महीने में एकबार लिखा जाता था। जहाज पर जितने अफसर थे, सब उसमें लेख लिखते थे; और लोग भी कोई कोई उसमें लिखते थे। लेखों में इस चढ़ाई का सविस्तार वर्णन रहता था। इस अख़बार के अङ्क अभी तक प्रकाशित नहीं हुए। चढ़ाई के लौट आने पर वे इंग्लैंड में प्रकाशित होंगे।

वहाँ बाहर कोई पोधा नहीं हो सकता था। मगर हम लोग इंग्लैंड से एक बक्स में थोड़ी सी मिट्टी ले गये थे। उसीमें हमने "क्रोक्यूसेज़" नामक पौधे के बीज बोये। उनमें से दो पोधे हुए। फूठ भी उनमें यथासमय निकले। "गुड फ्राईडे" को हम लोग उन फूलों को देख कर बहुत प्रसन्न हुए। हमारे जहाज में वह मानों हमारा एक छोटा सा फूलबाग था।