पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/१७५

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( नेपथ्य से गजन के साथ) अच्छा जल्दी जारर तू उद्योग म तत्पर हो, कर यज्ञ पुर-बलिदान से । हरिश्चन्द्र जो आज्ञा, में शीघ्र अभी जाके वहा प्रथम परगा काय्य आपका भक्ति से। ( नौका चग्ने रगती है) बातमय ॥१०॥