पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/१८२

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रोहित अच्छा है। बस चलो अभी तुम साथ मे, राज्य केन्द्र में चलते हैं हम भी अभी, उसो स्थान मे मूत्य तुम्हे मिल जायगा, और इसे हम ले जाते हैं सग ही। (शुन शेफ से ) चलो चला जी साथ हमारे शीघ्र ही। मेरे हाथ तुम्हारा विक्रय हो चुका । (शुन शेफ का अजीगत की ओर सकरण देखते हुए राहित के साथ प्रस्थान ) करणालय ।। ११७॥