पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/१९५

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युगल द्वितीया मचा द्वन्द तर पोर उसी रणभूमि में दोना ही ये अन्य रयच से रणगिना, पैमा, परम्पयन था भग यवन वीर ने माला frज घर में लिया और चराया वग सहिन, पर यया हुआ गजपून ता उगवे मिर पर है गडा fiज हय पर, घर में भी अनि उ मुक्न है। यवन-वीर ी धूम पड़ा अगि गीर गुथी निजरियाँ दा मानो रण-य्याम म वर्ग होने लगी रफ्त में विदु यी, उदित अथवा हुए धरियटर का जरद जारमा घाट ये। रिन्तु यया या तीण वार अति प्रल था, जिगे रोरा राजपा या माम था गघिर-पुतारा गूण-यया-बर गा अगि जिममें पी, बग-सहित यह गिर पडा पुन्य ताग , तु-आरार अभी दर भी हुई ही गिर ड में जा जा पहा यमायोर या भूमि में। यो हा मर यमा की यनुगत हुए पर रिया गिशिरा को क्षत्रिय मंच। "जय सुमार श्री अमराह !"- नाद से पाना पापित हवा, परानो प्रस्त हो पाएगा प्रतिपनि उ7 जर गयो। गा बर्ग गा मा चा। ति र विद्या विहार ठ 1 पिल निकर एग डार पर पटो। TT ATT I forgot 711 मग धे मिर TT सर या जमो गाा किणी म | गोप्य