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पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/२३७

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वह प्रणाम करता है, तुम नहिं उत्तर देते क्यो क्या वह है जीव नही जो रख नहिं देते कैसा यह अभिमान, अहो कैसी कठिनाई उसने जो कुछ भूल निया, वह भूलो भाई उसका यदि वस्त्र मलीन है, पास विठा सकते नहीं क्या उज्ज्वल वस्त्र नवीन इक उसे पिन्हा सकते नहीं कुचित है भ्रू-युगल बदन पर भी लाली है अधर प्रस्फुरित हुमा म्यान असि से साली है डरता है वह तुम्ह देय, निज कर को रोको उस पर कोई वार करे तो उसको टोको भीत जो कि ससार से, असि नहिं है उनके लिये उसे तुम्हारी सान्त्वना नम्न बनाने के लिये Thotho प्रसाद वाङ्गमय ।।१७६ ॥