सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/३३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वह लोभी वे काम ॥ पहन कर किया नही व्यवहार । बताया नहीं गले का हार॥ प्रसाद वाङ्गमय ।। २८२॥