पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/३४८

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उष्ण निश्वास हुआ सहसा, तुम्हारा पहले रहा नही । तुम्हारी गोद न अच्छी लगी, उतरने को मचला तब ही ॥ धूल का खेल, खेलने लगे, किन्तु वह क्रीडा ही न रही। बोझ हो गया, सरल आनन्द, मिलेगा फिर अब हमे कही?