सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/४०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जग का मजर कारिमा रजनो में मुखचद्र दिया जाओ। हृदय अंधेरी झोली इसमें ज्योति भीप देने माओ। प्रागा यो व्याकुल पुगार पर एक मीड ठहरा जायो। प्रेग वेणु को म्बर लहरी में जीवन गीत सुना जाओ। म्हालिजन पी लतिराया को सुरमुट डा जाने दा। जीवन धन | इस जरे जगन यो वृन्दावा घन जाने दो। सदर ।। ३५५॥