पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/४१४

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अरे कही देखा है तुमने मुझे प्यार करने वाले को? मेरी आखो मे आकर फिर आसू बन ढरने वाले को? सूने नभ मे आग जलाकर यह सुवण सा हृदय गला कर जीवन सन्ध्या को नहला कर रिक्त जलधि भरने वाले को? रजनी के लघु लघु तम कन मे जगती की अम्मा के धन मे उस पर पडते तुहिन सघन मे छिप, मुझसे डरने वाले को? निष्ठुर सेलो पर जो अपने रहा देवता सुख ये सपने आज लगा है क्या वह फैपने देख मौन मरने वाले को?