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पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/५७८

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छोडोगे सुख को सीमित कर अपने मे केवल दुस इतर प्राणियो की पोडा लख अपना मुंह मोडोगे। लें ये मुद्रित कलिया दल मे सब सौरभ बन्दी कर सरस न हो मरद विंदु से सुल पर तो ये मर लें। पाओग, फिर आमोद कहा सूरों, झडें, और तब कुचले सौरभ को से मधुमय वसुधा पर लाओगे। मुग्व अपने सतोप के लिए संग्रह उसमे एक प्रदशन जिसको देखें नही है अय, वही है। निजन मे क्या एक अकेले, तुम्हे प्रमोद नहीं इसी से अन्य हृदय का काई सुमन मिलेगा? खिलेगा। कम ॥ ५४३॥