पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/६०४

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नभ सागर के अतस्तल में जैसे छिप जाता महा मीन मृदु भ्रूण लहर में फ्नोपम तारागण झिलमिल हुए दीन निस्तब्घ मौन था अखिल लोक तद्रालम था वह विजन प्रात रजनी तय पुंजीभूत संदर्भ मनु श्रीवास्तव ले रहे थे