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पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/६८१

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सत्ता या स्पन्दा चला डोल, आवरण पटल की यि याल, तम जलनिधि वा वन मधु मयन, ज्यात्स्ना सरिता का आलिंगन, वह रजत गौर, उज्ज्वल जीवन, आलार पुग्प। मगल नेतन । मेरल प्रा था पोतो, मधु पिरना पी थी रहर लाल । या गया तमगाया जा मांग ज्यानिमय था वितार, अन्तगर की मे पूरित, पी गय-मंदिशी मत्ता चिा, एगा पर्व घे Tय रित, पा मारिया प्रागा मुमरित, र दर में मा', में भाग लिया माझम॥१२॥