पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/६९४

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नियममयी उलझन लतिका का भाव विटपि से आकार मिलना, जीवन वन की बनी समस्या आशा नभकुसुमो का खिलना। चिर-वसत का यह उद्गम है, पतझर होता एक ओर है, अमृत हलाहल यहा मिले हैं सुख दुख वंधते, एक डोर है।" "सुन्दर यह तुमने दिखलाया किन्तु कौन वह श्याम देश है ? कामायनी । बताओ उसमे क्या रहस्य रहता विशेष हैं।" रहस्य ॥ ६७५॥