पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/२०५

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के चारित्र्य, स्वास्थ्य और साधारण ज्ञान को विशेष सहायता देने का उपकरण जुटाया जायगा। स्वावलम्बन का व्यावहारिक विषय निर्धारित होगा। गाला ने सन्तोप की सांस लेकर देखा-आकाश का सुन्दर शिशु, बैठा हुआ वादलो की क्रीडा-शैली पर हंस रहा था और रजनी शीतल हो चली थी। रोएं अनुभूति म सगबगाने लगे थे । दक्षिण पवन जीवन का सन्देश लेकर टेकरी पर विश्राम करने लगा था। मगल की पलके भारी थी और गाला झीम रही थी। कुछ ही देर म दोनो अपने-अपने स्थान पर बिना किसी शैया के आडम्बर के सो गये। कंकाल १७७