पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/२३३

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पाप कहकर मान लेना, एक प्राचीन रूढि है । समाज को सुरक्षित रखने क लिए उससे सगठन म स्वाभाविक मनोवृत्तियो की सत्ता स्वीकार करनी होगी । सव के लिए एक पथ देना होगा । समस्त प्राकृतिक आकाक्षाआ की पूर्ति आपके आदर्श म होनी चाहिए। क्वल-'रास्ता वन्द है ।'-कह दने से काम न चलेगा। लोकापवाद–मसार का एक भय है एक महान् अत्याचार है । आप लाग जानते हाग कि श्रीरामचन्द्र ने भी-लाकापवाद र सामन सिर झुका लिया। लोकापवादी बलवाल्यन त्यक्ताहि मैथिली और इसे पूर्वकात के लोग मयादा कहन है उनका मर्यादापुरुपोत्तम नाम पड़ा। वह धर्म की मयादा न थी वस्तत समाजशासन की मर्यादा थी जिस सम्राट् ने स्वीकार किया और अत्याचार सहन किया परन्तु विवक-दृष्टि स विचारने पर देश काल और समाज को सकीर्ण परिधिया म पल हुए मर्वसाधारण नियम-भग अपराध या पाप कहकर न गिने जाय क्याकि प्रत्यक नियम जपन पूर्ववर्ती नियम के बाधक होते है। या उसकी जपूर्णता का पूर्ण करने क लिए बनत ही रहते हैं । सीता-निर्वासन एक इतिहास विश्रुत महान् मामाजिक अत्याचार है, और ऐसे अत्याचार अपनी दुर्वल सगिनी स्त्रिया पर प्रत्यक जाति क पुरुषा न किया है । किसी किसी समाज मे ता पाप के मूल म स्त्री का ही उल्लख है और पुरुप निष्पाप है। यह भ्रान्त मनावृत्ति अनेक सामाजिक व्यवस्थाजा क भीतर काम कर रही है । रामायण भी कवल राक्षस-वध का इतिहास नहीं है, किन्तु नारी नियातन का सजीव इतिहास लिखकर वाल्मीकि न स्त्रिया क अधिकार की पापणा की ह । रामायण म समाज के दा दृष्टिकोण है-निन्दक और वाल्मीकि के । दानो निर्धन थे, एक बडा भारी अपकार कर सकता था और दूमरा एक पीडित आयललना की सवा कर सका था। कहना न होगा कि उस युद्ध में कौन विजयी हुमा | सच्चे तपस्वी ब्राह्मण वाल्मीकि की विभूति समार म आज भी महान है । आज भी उस निन्दव का गाली मिलती है परन्तु दखिए तो, आवश्यकता पड़न पर हम-आप और निन्दको से ऊंचे हो सक्त है । आज भी ता ममाज वैस ही लागा स भरा पड़ा हैजा स्वय मलीन रहन पर भी दूसरा की स्वच्छता का अपनी जीविका का साधन बनाये हैं। हम इन बुर उपकरणा को दूर करना चाहिए। हम जितनी कठिनता से दूसरो का दबाये रखखग, उतनी ही हमारी कठिनता बढती जायगी। स्त्री-जाति के प्रति सम्मान करना सीखना होगा। हम लोगा को अपना हृदय द्वार और काय-क्षेत्र विस्तृत करना चाहिए । मानव-सस्कृति के प्रचार के लिए हम उत्तरदायी हैं। विक्रमादित्य, समुद्रगुप्त और हपवर्द्धन का रक्त हमम है। ससार भारत के स देश की आशा म है, हम उह ककाल २०५