पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/२५५

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यह तैल है या जादू 1 जाआ भाई, तुम भी सो रहो। नहीं नहीं ठहरो तो, मुझे योडा पानी पिला दो। मधुवा चुपचाप उठा और पानी के लिए चला । तब चौवेजी ने धीरे से बटुआ खोलकर मिठाई निकाली, और खान लगे। मधुवा इतने में न जाने कब लोटे मे जल रखकर चला गया था। ___ और बचो सो गई थी। आज उसने नमक और तेल स अपनी रोटी भी नही खाई । आज पेट के बदले उसके हृदय मे भूख लगी थी । शैला से मित्रता-शैला स मधुर परिचय-के लिए न जाने कहाँ को साध उमड पडी थी। सपने-परसपने देख रही थी। उस स्वप्न की मिठास मे उसके मुख पर प्रसन्नता की रेखा उस दरिद्र-कुटीर म नाच रही थी। तितली २२७