पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/३००

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तहसीलदार 7 पागजा पर रही मरकार म हस्ताक्षर करा हो लिया, क्यारि मना सी याजना के अनुसार किमाना गएर वर ओर एर हामियोपेथी का नि शुन्ध औषधानय गरम पहा गुसना पाहिए । गाय ना जा तूल है उम ही अधिक उन्नन बनाया था मनता है। तीसरे दिन जहाँ गजार लगता है, यही एा बच्छा-सा दहाती गजार बगाना होगा, जिसम करघे के कपडे, जम, पिसी पाना और आवश्यर चीजें विर मरें । गृहशिल्प को प्रोत्माहन ने के लिए वही में प्रयत्न पिया जा सकता है। रिमाना म गता 4 घाट-छोटे टुरडे बदलकर उनरा एक जगह पक बनाना होगा, जिसम यती को सुविधा हो। इसरे निए जमीदार यो अनक' तरह की सुविधाएं दनी हागो।। यह सबसे पीछे हागा । र पहले गुलना चाहिए। पिटर न इसके लिए विशेष जाग्रह रिया है। ___ तहसीलदार मुहाने पर गैला 7 शरसोट वा ही के लिए अधिक उपयुक्त लिए दिया था किन्तु मधुग्न पिता को जमीदारा नीताम घरीद हुई थी श्यामदुलारी ने नाम । वह हिम्मा अभी तक उन्ही के नाम म गवट म था। इसलिए श्यामदुलारी न घाडी-सी गर्व की हंगी हंसते हुए हस्ताक्षर करने पर कहा तहसीलदार । जय ता मुझे इसम हट्टी दो। इन्द्र म ही जो कुछ हा, निसाया-पढाया पग। नहमीलदार न चश्म म म माधुरी वी आर देवार कहा-सरकार, यह मैं वैसे यह साता है कि आप अपना अधिकार छाड द । न मालूम क्या समझ कर आपके नाम से बडे सरकार ने यह हिस्सा परीदा था। आप इसे जो चाह कर सकती हैं। यदि आप किसी के नाम इसी स्प लिपा-पढी न पर, तो यह कानून के अनुसार पीवी रानी वा हा सस्ता है। छाटे सरकार से तो इसका कोई सम्बन्ध श्यामदुनारी न रडी निगाह से तहसीलदार र देखा । उसम सकेत था उस चुप करने के लिए, किन्तु कूटनीति-चतुर व्यक्ति न योडी-मी सधि पाते ही जो कुछ कहना था, कह डाला। २७२ प्रसाद वाङ्मय