पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/३०८

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क्या बटी । तुमन साच विचार लिया। -काठरी क बाहर बैठ हुए रामनाथ न पूछा। भीतर स राजकुमारो न कहा- बाबाजी हम लोग इस समय ब्याह करन के लिए रुपय कहाँ स लावे। रुपया से ब्याह नही हागा वटी । ब्याह हागा मधुवन स तितली का । तुम इस स्वीकार कर लो, और जा कुछ हागा मैं देख लूगा । मै अव बूढा हुआ, तितली को तुम लोगा को स्नेह-छाया में दिये बिना मैं कैस मुख स मरूंगा? अच्छा, पर एक बात और भी आपन समझ ला है ? क्या मधुवन, तितली के साथ गृहस्थी चलाने के लिए, दुख-मुख भागन के लिए तैयार है ? वह अपनी सुध-बुध तो रखता ही नही। भला उसके गले एक वछिया वाँध कर क्या आप ठीक करगे? सुनो वेटी, दस बीघा तितली क,और तुम लागा क जा खत है-सब मिला कर एक छोटी-सी गृहस्थी अच्छी तरह चल सकगी। फिर तुमको ता यही सब देखना है, करना है, सब सम्हाल लागी । मधुबन भी पढा-लिखा परिश्रमी लड़का है। लग-लपटकर अपना घर चला ही लगा। मधुवन से भी आप पूछ लीजिए । वह मरी बात सुनता कब है। कई बार मैन कहा कि अपना घर देख, वह हँस दता है, जैस उस इसकी चिन्ता ही नहीं। हम लोग न जाने कैस अपना पेट भर लेते हैं। फिर पराई लडकी घर म ल ____आकर तो उसी तरह नहीं चल सकता। ____तुम भूलती हो वटी । पराई लडकी समझता तो मैं उसक ब्याह की यहा चर्चा न चलाता । मधुबन और तितली दोना एक-दूसरे का अच्छी तरह पहचान गय है। और तितली पर तुमको दया ही नहीं करनी हागी, तुम उसे प्यार भी करोगी । उसे तुमन इधर दखा है ? नही, अब ता वह बहुत दिन से इधर आती ही नही।। आज मेम साहब के साथ वह भी नहाने गई है। शैला का नाम तो तुमन २८० प्रसाद वाङ्मय