पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/३३९

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दूमरी स्त्री चादर के धुघट म से ही विलखकर कहन लगी—क्या इस गाँव म कोई किमी को सुनने वाला नही? मेरी भतीजी का व्याह मुझस बिना पूछे करने वाला यह वावा कौन होता है ? हे राम । यह अधेर । मिस्टर वाट्सन उठकर खड हो गये । अनवरी क मुख पर व्यगपूर्ण आश्चय था और सुखदव क क्रोध का ता जैस कुछ कुछ ठिकाना ही न था। उन्हान चिल्लाकर कहा- सरकार, आप लागा के रहते एसा अन्याय न होना चाहिए। क्षण-भर के लिए मधुवन रुककर क्रोध स मुखदव की आर दखन लगा। वह आसन छाडकर उठने ही वाला था। वह जैस नीद स सपना दखकर बालन का प्रपल करते हुए मनुष्य के समान अपन क्राध से असमर्थ हो रहा था। उधर रामनाथ ने चारा ओर दखकर गभीर स्वर से कहा---शान्त हो मधुवन । अपना काम समाप करो। यह सब तो जा हो रहा है, उस होन दो। और तितली की दशा, ठीक गांव के समीप रेलव-लाइन के तार का पकडे हुए उस बालक-सी थी, जिसके मामन स डाक-गाडी मक्-भक् करती हुई निकल जाती है-सैकडा सिर खिडक्यिा स निकले रहत है, पर पहचान म एक भी नही आते, न ता उनकी आकृति या वणरेखाआ का ही कुछ पता चलता है । वह अपनी सारी विडम्बना का हटाकर अपनी दृढता म पडी रहन का प्रयत्न करन लगी थी। तो भी रामनाथ की आज्ञाओं का--आदशा का अक्षरश पालन हो रहा था। तहसीलदार और इन्द्रदेव वापस चल आय थे। तहसीलदार ने कहा-वाबाजी आप यह काम अच्छा नहीं कर रह है । तितली क घरवालों को सम्मति क बिना उसका ब्याह अपराध ता है ही, उसका कोई अर्थ भी नही। ... इन्द्रदेव को नुप देखकर रामनाथ ने कहा—क्या आपकी भी यही सम्मति हॉ---नही-उन लागा स ता आपको पूछ लना किन लागा से ? तितली की बुआ। कहाँ थी वह-जव तितली मर रही थी पानी के बिना ? और फिर आपको भी विश्वास है कि यह तितली की बुआ ही है ? मैं भी इस गांव की सव वात जानता हूँ। रह गई मधुवन की वात, सो अब वह लडका नहीं है, उसे कोई भुलावा नहीं दे सकता। रामनाथ ने फिर अपनी शेप विधि पूरी की। उधर दाना स्त्रियाँ उछल-कूद मचा रही थी। अनवरी ने धोरे स वाट्सन से कहा- क्या आपको इसम कुछ न बालना चाहिए? तितली ३११