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पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/३४१

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मैं भी। उसका नारीत्व अपने पूर्ण अभिमान मे था। अनवरी झल्ला उठी । मुखदेव दाँत पीसकर उठ गये । तहसीलदार मन हीमन बुदबुदाने लगे। वाट्सन मुस्कराकर रह गये । शैला ने गम्भीर स्वर म इद्रदेव से कहा-अब आप लोगो से यह नवविवाहित दम्पति आशीर्वाद की आशा करता है। और मैं समझती हूँ कि यहा का काम हो चुका है । अव आप लोग नील कोठी चलिये । अस्पताल खोलने का उत्सव भी इसी समय होगा और और तितली के ब्याह का जलपान भी वही करना होगा। सब लोग मेरी ओर से निमत्रित हैं। इन्द्रदेव ने सिर झुकाकर जैसे सब स्वीकार कर लिया। और वाटसन न हँसकर कहा-मिस गैला मै तुमको धन्यवाद पहले ही स देता है । सिन्दूर स भरी हुई तितली की माग दमक उठी। तितली ३१३