पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४२६

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आहो, आप वैठिए । मुझे तो यह पाठशाला देखनी ही होगी। यह सुनकर मैं बहुत प्रसन्न हुआ। कहते हुए वाट्सन ने फिर बैठन के लिए कहा । किन्तु तितली वैसी ही खडी रही । उसने कहा-आपकी कृपा है। किन्तु मैं इस समय आपके पास एक दूसरे काम से आई हूँ। मरा कुछ खेत महंगू महता जोत रहे है । मैं नही जानती कि मेरे पति न वह खेत किन शर्तों पर उन्हे दिया है। किन्तु मुझे आवश्यकता है अपने स्कूल के लिए और भी विस्तृत भूमि की। बनजरिया पर लगान तो लग ही गया है। उसम लडकिया के खलन की जगह बनाने से मेरी वती की भूमि कम हो गई है। मैं चाहती हूँ महंगू क पाम जा मरा खेत है, वह महंगू का दे दिया जाय, और वनजरिया से सटा हुआ रामजस वाला खत मुझे बदले म दिला दिया जाय । वाट्सन ने घूमकर शेला स कहा- मैं तो समझता हूँ कि उस बदले से यह अच्छा हागा । क्यो महंगू तुमको तो यह प्रस्ताव मान लेना चाहिए। शैला चुपचाप तितली और अपने सम्बन्ध को विचार रही थी । वह साच रही थी कि तितली क्यो मुझसे इतना अलग रहना चाहती है । मैं कहती हूँ कि 'यहाँ बैठ जाओ' तो वह वैठना ही अपमान समझती है । वाट्सन ने शैला के कान म धीरे से कहा-तुम चुप क्या हो ? यह तो वही लडकी मालूम होती है, जिसके ब्याह म मैं उपस्थित था। ठीक है न ? शैला ने दुख से कहा-हाँ, इसका शेरकोट तो जमीदार ने वेदखल करा लिया । अव वनजरिया बची है, उस पर भी लगान लग गया। पहले माफी थी। और वाट्सन | तुमने तो यह न मुना होगा कि इसके पति को डकैती के अपराध मे कारावास का दड मिला है। ____ वाट्सन ने एक बार फिर उस तेजस्विनी तितली को देखा। वही एक किसान थी, जिसने सबके पहले बदले को प्रसन्नता से स्वीकार किया है । महँगू तो इस प्रस्ताव को सुनकर और भी क्रुद्ध हो गया। उसे अपने जो खेत जहाँ पर हैं वही रहना अच्छा मालूम होता है, क्योकि उसके अन्तर में यह अज्ञात भावना है कि उसके लडके-पोते एक म न रहेगे, फिर एक जगह खत इकट्ठा लेकर क्या होगा । उसने गुर्रा कर कहा-साहव । आप मालिक हैं, जो चाहे कीजिए । कहिए तो गांव ही छोड कर चल जाय । वाट्सन इस उत्तर से अव्यवस्थित हो गये। उनके मन म झटका लगाक्या हम किसाना के हित के विरुद्ध कुछ करन जा रहे है ?—तुरन्त ही उन्हान तितली से घूमकर पूछा--- ४०२:प्रसाद वाङ्मय