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श्री शिवजी सहाय निवेदन परमश्रद्धास्पद श्रीयुत् बाबू देवीप्रसाद सुंघनीसाहु पूज्यपाद स्वर्गीय पितृदेव । आपका वह विद्यानुराग जो वात्सल्य प्रेम के साथ हमारे ऊपर था, उसी के द्वारा यह वीज इस क्षुद्र हृदय मे अकुरित हुआ यह क्षुद्र पुस्तक उसी का फल है, इसमे उस प्रदेश की भी कुछ बाते है जहां कि आप इस समय विहरण करते है, बाल्यकाल मे प्राय: आप हमसे संस्कृत के श्लोक तथा हिन्दी के दोहे कण्ठस्थ कराकर सुना करते थे, आशा है कि अब इस पुस्तक द्वारा आपका कुछ मनरजन होगा । संवत् १९६६ विजया दशमी आशीर्वाद भाजन भवदीपात्मज जयशंकर संवत् १९६३ मे लिखित और १९६६ मे प्रकाशित उर्वशी चम्पू से (सं०) निवेदन . ७