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पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/२१०

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ने मानव जाति के प्राग-ऐतिहासिक काल को और उसके साथ ही आर्य संस्कृति को भी अधिक पुरातन सिद्ध कर दिया है। फलतः उस काल की सीमा विस्तृत हो चली है। F.G. C. Hearenshaw अपने संसार के इतिहास में लिखते हैं -"पिछले कई वर्षों से मिस्र की प्राचीनता में विश्वास बढ़ रहा था। उसके मितीवार इतिहास का क्रम तो प्रायः ईसा पूर्व ४००४ वर्ष से चला, पर इसके भी हजारों बरस पहले से वहां के लोग सुसंगठित जीवन व्यतीत कर रहे थे। अब वर्तमान काल की खोजों और उपलब्धियों ने प्राचीनता का अधिकार बेबिलोनिया की सभ्यता को देने का निश्चित अभिमत दिया है। इसके अतिरिक्त बैबिलोनिया की सभ्यता के पूर्व उमसे भी कुछ अधिक पुरानी सभ्यता इलाम की है।" सभ्यता का प्रश्न हल करने के लिए अवशिष्ट चिह्नों से काम लिया जाता और यही उसकी प्राचीनता के मापक है । अभी कुछ दिनों पहले तक भारतवर्ष में खोदाई का काम पूर्णतः न होने के कारण ईसा पूर्व छठौं शताब्दी से पहले के कोई चिह्न न मिले थे और इस कारण आर्य संस्कृति की प्राचीनता में संदेह किया जाता था। केवल ऋग्वेद के मंत्रों से सामाजिक और साहित्यिक विकाम के अनुमान पर अधिक से अधिक २००० वर्ष ईसा पूर्व की आर्य सभ्यता में पाश्चात्य अपना विश्वास प्रकट कर रहे थे । हरप्पा और मोहंजोदरो की हाल की खोदाई ने -कुछ पत्थर के टुकड़ों को ही प्रामाणिक महत्ता देने वालों की-आँखें खोल दी है, जिसकी प्राचीनता को डॉ० मार्शल जैसे विद्वानों ने भी पैतीस सौ ईमवी पूर्व की माना है । प्रायः इतना ही समय ब्रीस्टेड (Breasted) आदि विद्वान् मिस्र के पिरामिओ को देते है। सर मार्शल लिखते है--"जैसे-जैसे खोदाई का कार्य अधिक विस्तृत हो गया, यह प्रमाणित होने लमा कि भारत से मेसोपोटामियां का सम्बन्ध केवल मंस्कृति की समानता के आधार पर नही था, किंतु दोनों देशों में गाढ़तम व्यापारिक और अन्य संपों के 8. Egypt untile the last few years has been generally regarded as having the best title to priority : its calender was fixed in or about 4004 B. C. and for a thousand years before that it had lived a more or less settled life. But the weight of modern evidence seems to be definitely cstablishing a claim to a still earlier antiquty on behalf of the civilisation of Babylonia, while behind the Babylonian civilisation there seems to lie a more primitive civilisation of Elam ( p. 33. World History- F. G. C. Hearenshaw) ११०: प्रसाद वाङ्मय