पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/२२१

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पूर्ण 'ऐतरेयालोचन' में निर्देश किया था। उक्त दोनों महोदयों ने सिधु की सहायक नदियों को ही ऋग्वेद के मंत्र 'प्रसप्तसप्त धा हि चक्रमुः प्रसृत्वरीणामति सिंधु- रोजसा" (१०-७५-१) तथा "त्रिः सप्त सस्रा नद्यो"-(१०-६४-८) मंत्रों में वर्णित नदियां मान लिया है। किंतु मेरा अनुमान है कि ये त्रेधा-तीन सप्तक मंत्रार्य के अनुसार ही अलग-अलग तीन स्थानों में होने चाहिये । और, ये तीनों सप्तक-अपनी सहायक नदियों के साथ-गंगा, सिंधु और सरस्वती के हैं। ऋग्वेद के "अनु प्रत्नस्योकसो हुवे"-(१-३०-९) इत्यादि में प्रत्न-ओक= प्राचीन वास-भूमि का जो अर्थ लगाया जाता है; और जिससे यह सिद्ध करने की चेष्टा की जाती है कि इन लोगों की आदि-भूमि कहीं दूसरी रही, ठीक नहीं । सामश्रमीजी ने "पुराणमोकः सख्यं शिवं वां युवोनरा द्रविणं जहाव्याम्" (३-५८-६) को उद्धृत करके यह दिखलाया है कि समय-समय पर व्यक्तिविशेषों की वास-भूमि का इसमे उल्लेख है, न कि आर्यों के सामूहिक आवास का । पुराण-ओक गंगा तट पर भी ऋग्वेद के मंत्र से प्रमाणित है। यह गगा का सप्तक यमुना, सदानीरा आदि सहायक नदियों से बनता था। कीकट आदि तक की नदियां इसमे गिनी जा सकती हैं । इस सप्तक की सीमा सदानीरा थी। सिंधु की सात नदियों का सप्तक प्रसिद्ध है। तीसरा सप्तक सरस्वती का होगा-ऐसा अनुमान है, क्योंकि, ऋग्वेद के छठे मंडल का ६१ वा सूक्त सरस्वती की महिमा का गान करता है। उसमें 'उत नः प्रिया प्रियासु सप्त स्वसा सुजुष्टा' (१०) कहकर सरस्वती सात बहनों वाली मानी गयी है । सिंधु के सप्तक वाली सरस्वती से ही काम नहीं चल सकता। क्योंकि आगे चलकर उसी सूक्त मे "प्र या महिम्ना महिनासु चेकिते झुम्नेभिरन्या अपसामपस्तमा" (१३) इस उक्ति से और सबों यह अपस्तमा प्रभूत जलवाली मानी गयी है। उघर 'प्र सप्तसप्त' वाले मंत्र में—'अति सिन्धुरोजसा' है, इसलिए इस सरस्वती को सिंधु के सप्तक वाली सरस्वती से हम भिन्न मानते हैं। पंजाब की सरस्वती के अतिरिक्त, एक दूसरी सरस्वती भी थी। अवेस्ता में जिन पवित्र देशों का वर्णन है, उनमे सप्तसिंधु अलग वणित है । जैसे-पंद्रहवां उत्तम देश हप्तहिंदव है।' दसर्वा उत्तम प्रदेश हरहती है। हरवती के दो अपभ्रंश रूप मिलते है-भररोखांग (अरबी साहित्य में प्रयुक्त देश नाम और अरगंद (जो आधुनिक 'अरंगद-आब' नदी के नाम से पाया जाता है)। . p. Fifteenth of the good lands and Countries which I, Ahura Mazda, created; was the Seven Rivers (*. 9 Vendidad). P. The Tenth of the good lands and countries which I, Abura Mazda, created, was the beautiful Harahvaitih. प्राचीन आर्यावत्तं . १२१